आप अपने नाम की वजह से कभी उत्कृष्ट नही बनते, जबकि आप अपनी कंपनी के श्रेष्ट गुणों की वजह से उत्कृष्ट बनते हो।
समय की धारा में, जब कुछ देने की हमारी बारी आती है तब हमे ऐसे पेड़ो की बुआई करनी चाहिए जिसके फल भले ही हमे कभी खाने न मिले हो लेकिन वे आने वाली पीढ़ी के लिए उपयोगी होने चाहिए।
हमारी संपत्ति हर शाम दरवाजे से बाहर जाती है। लेकिन हमें इस बात का पूरा भरोसा होना चाहिए की अगली सुबह वे जरूर वापिस आएँगी।
आदर, पहचान और पुरस्कार पर ही हमारा प्रदर्शन निर्भर होता है।
पैसो की असली ताकत उसे दूसरे को देने में ही है।”
प्रगति अक्सर मन और मानसिकता के अंतर के बराबर होती है।
जब संदेह में हों, तो बता दें।
एक मुमकिन असंभावना एक निश्चित सम्भावना की तुलना में बेहतर है।
चरित्र + अवसर = सफलता
हम ईश्वर में यकीन रखते हैं, बाकी सभी तथ्य जमा करते हैं।
पेड़ फल से, इंसान कर्म से, और कोयल अपनी कूक से जानी जाती है..
तीसरे अम्पायर को उतनी जल्दी-जल्दी ही बदलना चाहिए, जितना कि बच्चों की लंगोट बदलते हैं और उसी वजह से।
अगर समंदर शांत हो तो नौसीखिए भी नाव चला सकते हैं. असल प्रतिभा तो तब दिखती है, जब आप हज़ार मुश्किलों के बावजूद जीतते हैं..
अनुभव वो कंघी है जो ज़िन्दगी आपको तब देती है, जब आप गंजे हो जाते हैं..
जिस तरह बिना अच्छे साज़ के आप अच्छी धुन नहीं बना सकते, उसी तरह बिना अच्छी टीम बनाए आप सफल भी नहीं हो सकते..
आप अकेले सभी स्वरों का मिलान नहीं कर सकते, इसके लिए आर्केस्ट्रा चाहिए होती है।
बिना जोखिम कुछ नहीं मिलता और जोखिम वही उठाते हैं, जो साहसी होते हैं..