दैवी क्षेत्र पार्थिव तक फैला हुआ है; किन्तु पार्थिव, जो प्रकृति में भ्रामक है, उसमें वास्तविकता का सार नहीं है।
प्रेम वह अविचलित संतुलन है जो इस ब्रह्मांड को एक साथ बांधता है।
अपने पूरे जीवन में ईश्वर को प्रकट करने से दुनिया शांति और सद्भाव का घर बन जाएगी।
मेरा स्वभाव प्रेम है: क्योंकि केवल प्रेम ही इस संसार को बदल सकता है।
अपने विचारों और सपनों में हमेशा ईश्वर को रखें।
शुद्ध मन से ही शुद्ध कर्मों की शुरुआत होगी।
हमें सच्चा प्रेम प्रभु से प्राप्त होता है। किसी व्यक्ति से क्या होगा, कोई व्यक्ति हमसे प्यार कर ही नहीं सकता क्योंकि वो हमे जानता ही नहीं तो कैसे करेगा।
स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो। यह जीवन जैसा भी है, उनका दिया हुआ है।
क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है... बजाय यह सोचने के कि उसका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, हम यह सोचे कि हमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है।
सत्य की राह में चलने वाले की निंदा बुराई अवश्य होती है। इससे घबराना नहीं चाहिए। यह आपके बुरे कर्मों का नाश करती है।
दिल के सच्चे लोग भले ही जीवन में अकेले रह जाते हैं लेकिन ऐसे लोगों का साथ भगवान ज़रूर देते हैं…
दुखिया को न सताइए दुखिया देवेगा रोए, दुखिया का जो मुखिया सुने, तो तेरी गति क्या होए।
जिंदगी में हर मौके का फायदा उठाओ, पर किसी की मजबूरी और भरोसे का नही,
जब दर्द और कड़वी बोली दोनों सहन होने लगे, तो समझ लेना जीना आ गया !
जिनके मुख में प्रभु का नाम नहीं है, वह भले ही जीवित है लेकिन मुख से मरा हुआ है।
ब्रह्मचर्य की रक्षा करें। ब्रह्मचर्य बहुत बड़ा अमृत तत्व है, मूर्खता के कारण लोग इसे ध्यान नहीं देते हैं।
जहां आपके लिए निंदा और बुराई हो, वहां आपके बुरे कर्मों का नाश हो जाता है।
बहुत होश में यह मत सोचो कोई देख नहीं रहा। आज तुम बुरा कर रहे हो, तो तुम्हारे पुण्य खर्चा हो रहे हैं।