कपालभाती प्राणायाम करे और 99% रोगों से मुक्ति पाए.

कपालभाती प्राणायाम करे और 99% रोगों से मुक्ति पाए.

Baba Ramdev

योग से हम अपने अंदर के दिव्य तत्वों को पहचान सकते हैं।

योग से हम अपने अंदर के दिव्य तत्वों को पहचान सकते हैं।

धन तो मिलता है, परंतु स्वास्थ्य अमूल्य होता है।

धन तो मिलता है, परंतु स्वास्थ्य अमूल्य होता है।

बीमारियों के कुचक्र को योग रूपी सुदर्शन चक्र से ही समाप्त कीजिये।

बीमारियों के कुचक्र को योग रूपी सुदर्शन चक्र से ही समाप्त कीजिये।

आहार, विचार, वाणी, व्यवहार, स्वभाव में, आचरण में पूर्ण अनुशासन है यही है योग।

आहार, विचार, वाणी, व्यवहार, स्वभाव में, आचरण में पूर्ण अनुशासन है यही है योग।

पवित्र विचार प्रवाह ही व्यक्ति के पवित्र आहार, पवित्र व्यवहार, पवित्र आचरण व पवित्र जीवन का आधार है।

पवित्र विचार प्रवाह ही व्यक्ति के पवित्र आहार, पवित्र व्यवहार, पवित्र आचरण व पवित्र जीवन का आधार है।

भगवान सदा हमें हमारी क्षमता, पात्रता व श्रम से अधिक ही प्रदान करते हैं।

भगवान सदा हमें हमारी क्षमता, पात्रता व श्रम से अधिक ही प्रदान करते हैं।

मैं माँ भारती का अमृतपुत्र हूँ, “माता भूमि: पुत्रोहं प्रथिव्या:”।

मैं माँ भारती का अमृतपुत्र हूँ, “माता भूमि: पुत्रोहं प्रथिव्या:”।

किसी व्यक्ति की नही व्यक्तित्व की पूजा करो। चित्र की नही चरित्र की पूजा करो। कर्म को अपना धर्म मानो। राष्ट्रधर्म को सबसे ऊपर रखो।

किसी व्यक्ति की नही व्यक्तित्व की पूजा करो। चित्र की नही चरित्र की पूजा करो। कर्म को अपना धर्म मानो। राष्ट्रधर्म को सबसे ऊपर रखो।

असंभव को संभव बनाने के लिये एक आदमी के पास असीमित क्षमता है।

असंभव को संभव बनाने के लिये एक आदमी के पास असीमित क्षमता है।

एक आदमी परम सुख प्राप्त कर सकता है, अगर वह काम करते समय अपने दिमाग को शांत, संतुलित और एकाग्र रखता है।

एक आदमी परम सुख प्राप्त कर सकता है, अगर वह काम करते समय अपने दिमाग को शांत, संतुलित और एकाग्र रखता है।

मनुष्य आध्यात्मिक ज्ञान और परम सुख प्राप्त करता है, जब वह प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखता है।

मनुष्य आध्यात्मिक ज्ञान और परम सुख प्राप्त करता है, जब वह प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखता है।

हमारे सुख-दुःख का कारण दूसरे व्यक्ति या परिस्थितियाँ नहीं अपितु हमारे अच्छे या बूरे विचार होते हैं।

हमारे सुख-दुःख का कारण दूसरे व्यक्ति या परिस्थितियाँ नहीं अपितु हमारे अच्छे या बूरे विचार होते हैं।

सदा चेहरे पर प्रसन्नता व मुस्कान रखो। दूसरों को प्रसन्नता दो, तुम्हें प्रसन्नता मिलेगी।

सदा चेहरे पर प्रसन्नता व मुस्कान रखो। दूसरों को प्रसन्नता दो, तुम्हें प्रसन्नता मिलेगी।

कर्म ही मेरा धर्म है। कर्म ही मेरि पूजा है।

कर्म ही मेरा धर्म है। कर्म ही मेरि पूजा है।

मनुष्य का जन्म हमारे लिए भगवान का सबसे बडा उपहार है।

मनुष्य का जन्म हमारे लिए भगवान का सबसे बडा उपहार है।

सुख बाहर से नहीं भीतर से आता है।

सुख बाहर से नहीं भीतर से आता है।

प्रत्येक जीव की आत्मा में मेरा परमात्मा विराजमान है।

प्रत्येक जीव की आत्मा में मेरा परमात्मा विराजमान है।

विचारों में शुद्धीकरण ही मात्र एक नैतिकता है।

विचारों में शुद्धीकरण ही मात्र एक नैतिकता है।