ज़ख़्म खरीद लाया हूं बाज़ार-ए-इश्क़ से, दिल ज़िद कर रहा था मुझे इश्क चाहिए।

ज़ख़्म खरीद लाया हूं बाज़ार-ए-इश्क़ से, दिल ज़िद कर रहा था मुझे इश्क चाहिए।

Broken Heart Shayari

सुना है आज समंदर को बड़ा गुमान आया है, उधर ही ले चलो कश्ती जहां तूफान आया है।

सुना है आज समंदर को बड़ा गुमान आया है, उधर ही ले चलो कश्ती जहां तूफान आया है।

तुम चाहे जितना नाराज़ हो लो, मैं ऐतराज़ नहीं करूँगा किसी बात का !

तुम चाहे जितना नाराज़ हो लो, मैं ऐतराज़ नहीं करूँगा किसी बात का !

चाहत इतनी थी की उनको बताई न गई, चोट दिल पर लगी इसलिए दिखाई न गई,

चाहत इतनी थी की उनको बताई न गई, चोट दिल पर लगी इसलिए दिखाई न गई,

उनके ख़याल का दर्द इतना बढ़ गया है, की अब तो नींद भी आने से कतराती है !

उनके ख़याल का दर्द इतना बढ़ गया है, की अब तो नींद भी आने से कतराती है !

गिरना था जो आपको तो सौ मक़ाम थे, ये क्या किया कि निगाहों से गिर गए।

गिरना था जो आपको तो सौ मक़ाम थे, ये क्या किया कि निगाहों से गिर गए।

वक्त के बदल जाने से इतनी तकलीफ नही होती है, जितनी किसी अपने के बदल जाने से तकलीफ होती है।

वक्त के बदल जाने से इतनी तकलीफ नही होती है, जितनी किसी अपने के बदल जाने से तकलीफ होती है।

इश्क़ में भी छुट्टी चाहिए थी उन्हें, न जाने इश्क़ को क्या समझ रखा है !

इश्क़ में भी छुट्टी चाहिए थी उन्हें, न जाने इश्क़ को क्या समझ रखा है !

कोई अपना हमसे जब भी रूठ जाता है, ऐसा लगता साथ रब छूट जाता है.

कोई अपना हमसे जब भी रूठ जाता है, ऐसा लगता साथ रब छूट जाता है.

सुन लेता हूँ मैं बोली, खामोशियों में भी तेरी, गूंजती है कुछ इस कदर तेरी बातें मेरे ज़हन में!

सुन लेता हूँ मैं बोली, खामोशियों में भी तेरी, गूंजती है कुछ इस कदर तेरी बातें मेरे ज़हन में!

ज़रूरत से प्यार किया उसने मुझसे, क्या प्यार करना भी एक मज़बूरी थी उसकी ?

ज़रूरत से प्यार किया उसने मुझसे, क्या प्यार करना भी एक मज़बूरी थी उसकी ?

फिर उसकी याद, फिर उसकी आस, फिर उसकी बातें, ऐ दिल लगता है तुझे तड़पने का बहुत शौक है।

फिर उसकी याद, फिर उसकी आस, फिर उसकी बातें, ऐ दिल लगता है तुझे तड़पने का बहुत शौक है।

बेखबर हूँ उनकी मजबूरियों से, लेकिन वो बस इतना समझ ले की तिल तिल मर रहा हूँ उनके बगैर !

बेखबर हूँ उनकी मजबूरियों से, लेकिन वो बस इतना समझ ले की तिल तिल मर रहा हूँ उनके बगैर !

 बादाम खाने से उतनी अक्ल नहीं आती, जितनी धोखा खाने से आती है।

बादाम खाने से उतनी अक्ल नहीं आती, जितनी धोखा खाने से आती है।

लिखता हूँ दिल-ऐ -दस्तूर, पर शायर नहीं हूँ मैं, न हूँ मैं उनसे दूर, तो कौन सा उनके करीब हूँ मैं !

लिखता हूँ दिल-ऐ -दस्तूर, पर शायर नहीं हूँ मैं, न हूँ मैं उनसे दूर, तो कौन सा उनके करीब हूँ मैं !

जिसने हम को चाहा उसे हम चाह न सके, और जिसको हमने चाहा उसको हम पा न सके।

जिसने हम को चाहा उसे हम चाह न सके, और जिसको हमने चाहा उसको हम पा न सके।

भीगा देती है निगाहें रातों में तकिये को, अब इसके सिवा मुझसे लिपटता ही कौन है !

भीगा देती है निगाहें रातों में तकिये को, अब इसके सिवा मुझसे लिपटता ही कौन है !

मत कर हंगामा पीकर हमारी गली में, हम तो खुद बदनाम है तेरी मोहब्बत के नशे में!

मत कर हंगामा पीकर हमारी गली में, हम तो खुद बदनाम है तेरी मोहब्बत के नशे में!

हमसफ़र थे आप कभी मेरे ख्वाबों में, बीच सफर में ही साथ छुटेगा, ऐसा कभी सोचा न था !

हमसफ़र थे आप कभी मेरे ख्वाबों में, बीच सफर में ही साथ छुटेगा, ऐसा कभी सोचा न था !