जो जले थे हमारे लिऐ बुझ रहे है, वो सारे दिये, कुछ अंधेरों की थी, साजिशें कुछ उजालों ने धोखे दिये । - Dhoka Shayari

जो जले थे हमारे लिऐ बुझ रहे है, वो सारे दिये, कुछ अंधेरों की थी, साजिशें कुछ उजालों ने धोखे दिये ।

Dhoka Shayari