जिसे डर ही नहीं था मुझे खोने का , वो क्या अफ़सोस करते मेरे ना होने का। - Dhoka Shayari

जिसे डर ही नहीं था मुझे खोने का , वो क्या अफ़सोस करते मेरे ना होने का।

Dhoka Shayari