ग़मों की बरसात समेटे बैठा हूँ किसी बेवफा से, धोखा खाया बैठा हूँ जाने कब देगा उपरवाला मुझे। मौत खुदा के भरोसा आस लगाये बैठा हू ! - Dhokebaaz Dost Shayari

ग़मों की बरसात समेटे बैठा हूँ किसी बेवफा से, धोखा खाया बैठा हूँ जाने कब देगा उपरवाला मुझे। मौत खुदा के भरोसा आस लगाये बैठा हू !

Dhokebaaz Dost Shayari