जिद मैं छोड़ सकता हूँ, पर तेरी लत कैसे छोड़ दूं, आपको चाहना आदत बन गई है मेरी, ये सिलसिला कैसे तोड़ दूं! - Mohabbat Shayari

जिद मैं छोड़ सकता हूँ, पर तेरी लत कैसे छोड़ दूं, आपको चाहना आदत बन गई है मेरी, ये सिलसिला कैसे तोड़ दूं!

Mohabbat Shayari