कुछ इस तरह बुनूँगा अपनी तकदीर के धागे की अच्छे अच्छे को झुकना पड़ेगा मेरे आगे ! - King Shayari

कुछ इस तरह बुनूँगा अपनी तकदीर के धागे की अच्छे अच्छे को झुकना पड़ेगा मेरे आगे !

King Shayari