हम नादां थे जो उन्हें हमसफ़र समझ बैठे, वो चलते थे मेरे साथ पर किसी और की तलाश में! - Humsafar Shayari

हम नादां थे जो उन्हें हमसफ़र समझ बैठे, वो चलते थे मेरे साथ पर किसी और की तलाश में!

Humsafar Shayari