कौन था अपना जिस पे इनायत करते हमारी तो हसरत थी, हम भी मोहब्बत करते उसने समझा ही नहीं मुझे किसी काबिल वरना उसे प्यार नहीं उसकी इबादत करते! - Armaan Shayari

कौन था अपना जिस पे इनायत करते हमारी तो हसरत थी, हम भी मोहब्बत करते उसने समझा ही नहीं मुझे किसी काबिल वरना उसे प्यार नहीं उसकी इबादत करते!

Armaan Shayari

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