तरक्की के दौर में नफरत लिये फिरते हैं, जब अंहकार टुटता तो दर दर भटकते है। - Nafrat Shayari

तरक्की के दौर में नफरत लिये फिरते हैं, जब अंहकार टुटता तो दर दर भटकते है।

Nafrat Shayari