नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के, तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के। - Nafrat Shayari

नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के, तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के।

Nafrat Shayari