ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे, जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे।
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे, पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे, उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद, और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना, हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना।
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे, मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे।
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे, फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे, ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे, अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं, पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं।
उनके चेहरे की चमक उड़ गई, अपनी औलाद की किस्मतें बनाते-बनाते, उसी पिता के नयनों मे आज, कई आकाशो के तारे चमक रहे थे!
किसी का दिल तोड़ना आज तक नही आया मुझे प्यार करना जो अपने माता-पिता से सीखा हैं मैंने।
जिनके अपने माँ बाप से, रिश्ते गहरे होते है, उनके कल और आज दोनों अच्छे होते है !
उस माँ बाप के सामने अकड़ के मत चलो, जिसने तुम्हे हाथ पकड़ कर चलना सिखाया !
इस दुनिया में बिना स्वार्थ के, सिर्फ माता पिता ही प्यार कर सकते हैं !
मेरे बच्चे तुझे और क्या चाहिए बूढ़े माँ बाप ने तुझको अपनी जवानी दी हैं।
टुकड़ों में बिखरा हुआ किसी का जिगर दिखाएँगे, कभी आना भूखे सोए बच्चों के माँ बाप से मिलाएँगे !
औलाद को इंसान बनाने की फिक्र में, माँ बाप को मरने की भी फुर्सत नहीं मिली !
घेर लेने को मुझे जब भी बलाएँ आ गईं ढाल बन कर सामने माँ-बाप की दुआएँ आ गईं।
मां बाप उमर से नहीं फिकर से बूढ़े होते हैं, कड़वा हैं मगर सच हैं !
इज़्ज़त भी मिलगी दौलत भी मिलगी, सेवा करो माँ बाप की जन्नत भी मिलेगी !
घर आके माँ-बाप बहुत रोये अकेले में, मिट्टी के खिलौने भी सस्ते ना थे मेले में !