अब ख़ाक उड़ रही है यहाँ इंतिज़ार की ऐ दिल ये बाम-ओ-दर किसी जान-ए-जहाँ के थे ऐ गर्दिशो तुम्हें ज़रा ताख़ीर हो गई अब मेरा इंतिज़ार करो मैं नशे में हूँ. - Intezaar Shayari

अब ख़ाक उड़ रही है यहाँ इंतिज़ार की ऐ दिल ये बाम-ओ-दर किसी जान-ए-जहाँ के थे ऐ गर्दिशो तुम्हें ज़रा ताख़ीर हो गई अब मेरा इंतिज़ार करो मैं नशे में हूँ.

Intezaar Shayari