कहीं वो आ के मिटा दें न इंतज़ार का लुत्फ़, कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी। - Intezaar Shayari

कहीं वो आ के मिटा दें न इंतज़ार का लुत्फ़, कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी।

Intezaar Shayari

Releted Post