लाखों सदमें ढेरों ग़म, फिर भी नहीं हैं आंखें नम इक मुद्दत से रोए नहीं, क्या पत्थर के हो गए हम! - Aankhein Shayari

लाखों सदमें ढेरों ग़म, फिर भी नहीं हैं आंखें नम इक मुद्दत से रोए नहीं, क्या पत्थर के हो गए हम!

Aankhein Shayari