उसकी आखों को कभी ग़ौर से देखा है ‘फ़राज़ रोने वालों की तरह जागने वालों जैसी! - Aankhein Shayari

उसकी आखों को कभी ग़ौर से देखा है ‘फ़राज़ रोने वालों की तरह जागने वालों जैसी!

Aankhein Shayari