तुम मेरी तरफ देखना छोड़ो तो बताऊँ हर शख्स तुम्हारी ही तरफ देख रहा है!

तुम मेरी तरफ देखना छोड़ो तो बताऊँ हर शख्स तुम्हारी ही तरफ देख रहा है!

Aankhein Shayari

उसकी आखों को कभी ग़ौर से देखा है ‘फ़राज़ रोने वालों की तरह जागने वालों जैसी!

उसकी आखों को कभी ग़ौर से देखा है ‘फ़राज़ रोने वालों की तरह जागने वालों जैसी!

उसकी आँखें सवाल करती हैं, मेरी हिम्मत जवाब देती है...

उसकी आँखें सवाल करती हैं, मेरी हिम्मत जवाब देती है...

रात गुजारी फिर महकती सुबह आई , दिल धड़का फिर तुम्हारी याद आई. आँखों ने महसूस किया उस हवा को , जो तुम्हें छु कर हमारे पास आई!

रात गुजारी फिर महकती सुबह आई , दिल धड़का फिर तुम्हारी याद आई. आँखों ने महसूस किया उस हवा को , जो तुम्हें छु कर हमारे पास आई!

क्या कशिश थी तुम्हारी आँखों मे, तुझको देखा और तेरा हो गया!

क्या कशिश थी तुम्हारी आँखों मे, तुझको देखा और तेरा हो गया!

मैं ने मुद्दत से कोई ख़्वाब नहीं देखा है हाथ रख दे मेरी आँखों पे कि नींद आ जाए!

मैं ने मुद्दत से कोई ख़्वाब नहीं देखा है हाथ रख दे मेरी आँखों पे कि नींद आ जाए!

अपनी आंखों में भर कर ले जाने हैं मुझको उसके आंसू काम में लाने है

अपनी आंखों में भर कर ले जाने हैं मुझको उसके आंसू काम में लाने है

तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है!

तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है!

नींद को आज भी शिकवा है मेरी आँखों से, मैंने आने न दिया उसको कभी तेरी याद से पहले!

नींद को आज भी शिकवा है मेरी आँखों से, मैंने आने न दिया उसको कभी तेरी याद से पहले!

हज़ार बार मरना चाहा निगाहों मैं डूब कर हमने फ़राज़ वो निगाहें झुका लेते हैं हमें मरने नहीं देते!

हज़ार बार मरना चाहा निगाहों मैं डूब कर हमने फ़राज़ वो निगाहें झुका लेते हैं हमें मरने नहीं देते!

मैंने उसको इतना देखा, जितना देखा जा सकता था लेकिन फिर भी दो आँखों से कितना देखा जा सकता था

मैंने उसको इतना देखा, जितना देखा जा सकता था लेकिन फिर भी दो आँखों से कितना देखा जा सकता था

"क़ैद ख़ानें हैं, बिन सलाख़ों के, कुछ यूँ चर्चें हैं, तुम्हारी आँखों के!

हमारे बीच जो ये दूरियां आयी है, कही न कही इन फासलों के पिछे सारे फैसले तुम्हारे ही तो है।

हमारे बीच जो ये दूरियां आयी है, कही न कही इन फासलों के पिछे सारे फैसले तुम्हारे ही तो है।

लोग पूछते है अब तुम दोनों साथ हो क्या, मैं कहता हूँ जिस्म से नहीं मगर दिल से हाँ शायद।

लोग पूछते है अब तुम दोनों साथ हो क्या, मैं कहता हूँ जिस्म से नहीं मगर दिल से हाँ शायद।

हम तुमसे दूर कैसे रह पाते, दिल से तुमको…कैसे भूल पाते, काश तुम आईने में बसे होते, हम खुद को देखते तो तुम नज़र आते।

हम तुमसे दूर कैसे रह पाते, दिल से तुमको…कैसे भूल पाते, काश तुम आईने में बसे होते, हम खुद को देखते तो तुम नज़र आते।

मैं जितना क़रीब जाना चाहूँ तू उतना ही दूर भागता है मुझे, तू और मैं चुम्बक के एक पहलू से लगते हैं।

मैं जितना क़रीब जाना चाहूँ तू उतना ही दूर भागता है मुझे, तू और मैं चुम्बक के एक पहलू से लगते हैं।

उसकी बेरुखी और मेरी खुदगर्ज़ी, अक्सर दूरियां ले आती हैं।

उसकी बेरुखी और मेरी खुदगर्ज़ी, अक्सर दूरियां ले आती हैं।

काफी फ़र्क़ है दूर होना और दूर रहने में, काफी फ़र्क़ है अपना होना और अपने कहने में।

काफी फ़र्क़ है दूर होना और दूर रहने में, काफी फ़र्क़ है अपना होना और अपने कहने में।

कभी तो आ बैठ मेरे पास थोड़ा बतियाते है, बढ़ रही है जो दूरियां उन दूरियों को मिटाते हैं।

कभी तो आ बैठ मेरे पास थोड़ा बतियाते है, बढ़ रही है जो दूरियां उन दूरियों को मिटाते हैं।