अक्सर मुसीबतों की धुप में मैंने रिश्तों की बर्फ को पिघलते देखा है, अक्सर फासलों के फर्श पर मैंने रिश्तों को फिसलते देखा है। - Dooriyan Shayari

अक्सर मुसीबतों की धुप में मैंने रिश्तों की बर्फ को पिघलते देखा है, अक्सर फासलों के फर्श पर मैंने रिश्तों को फिसलते देखा है।

Dooriyan Shayari