ये मोहब्बत तो मर्ज़ ही बुढ़ापे का है दोस्तो, जवानी में हमें फुर्सत ही कहाँ आवारगी से।। - Aawargi Shayari

ये मोहब्बत तो मर्ज़ ही बुढ़ापे का है दोस्तो, जवानी में हमें फुर्सत ही कहाँ आवारगी से।।

Aawargi Shayari