छूट गया हाथों से वो मेरे कुछ इस कदर रेत फिसलती है जैसे बन्द मुट्ठी से !  - Mood Off Shayari

छूट गया हाथों से वो मेरे कुछ इस कदर रेत फिसलती है जैसे बन्द मुट्ठी से !

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