ज़ुल्फों को गिरा के, पलकों को झुकाना सीखा है कहाँ से, ये जादू चलाना आता है तुम्हें तो, यूँ बातें बनाना जाओ जी हटो भी, छोड़ो यूँ सताना..! - Izhaar shayari

ज़ुल्फों को गिरा के, पलकों को झुकाना सीखा है कहाँ से, ये जादू चलाना आता है तुम्हें तो, यूँ बातें बनाना जाओ जी हटो भी, छोड़ो यूँ सताना..!

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