आज फिर जो मुर्शीद को याद किया, यूं लगा जैसे दिल के आईने को साफ किया। - Sufi Shayari

आज फिर जो मुर्शीद को याद किया, यूं लगा जैसे दिल के आईने को साफ किया।

Sufi Shayari