मत इतरा अपने गुरूर के मकान पर ये बनता नहीं अगर एक मजदूर न होता।   - Ghamand Shayari

मत इतरा अपने गुरूर के मकान पर ये बनता नहीं अगर एक मजदूर न होता।

Ghamand Shayari