कहीं का ग़ुस्सा कहीं की घुटन उतारते हैं ग़ुरूर ये कि हम काग़ज़ पे फ़न उतारते हैं ! - Ghamand Shayari

कहीं का ग़ुस्सा कहीं की घुटन उतारते हैं ग़ुरूर ये कि हम काग़ज़ पे फ़न उतारते हैं !

Ghamand Shayari