क़दमों पे डर के रख दिया सर ताकि उठ न जाएँ नाराज़ दिल-लगी में जो वो इक ज़रा हुए! - Dillagi Shayari

क़दमों पे डर के रख दिया सर ताकि उठ न जाएँ नाराज़ दिल-लगी में जो वो इक ज़रा हुए!

Dillagi Shayari