माना दोस्त कि दिल्लगी तेरी फ़ितरत नहीं फ़िर वाबस्तगी मुझसे क्यों तेरी हसरत नहीं! - Dillagi Shayari

माना दोस्त कि दिल्लगी तेरी फ़ितरत नहीं फ़िर वाबस्तगी मुझसे क्यों तेरी हसरत नहीं!

Dillagi Shayari