बिछड़ कर अचानक मुझे चौंका दिया उस ने अनसुलझे खयालों में उलझा दिया उस ने जिस की खुशीयाँ थी "शामील" मेरी दुआओं में तन्हाई का आज मुझे तोहफा दिया उस ने!
लोग आज भी तेरे बारे में पूछते है, की कहाँ है वो, मैं बस दिल पर हाथ रख देता हूँ!
इस तन्हाई का हम पे बड़ा एहसान है साहब, न देती ये साथ अपना तो जाने हम किधर जाते।
वक़्त बहुत कुछ चीन लेता है खैर मेरी तोह सिर्फ मुस्कराहट खुशियां और रातों की नींद थी।
इश्क़ के नशे डूबे तो ये जाना हमने फ़राज़, की दर्द में तन्हाई नहीं होती.तन्हाई में दर्द होता है।
वो भी बहुत अकेला है शायद मेरी तरह, उस को भी कोई चाहने वाला नहीं मिला।
कुछ देर बैठी रही पास, और फिर उठ कर चली गई गुरुर तो देखो तन्हाई का ये भी बेवफ़ा हो कर चली गई.
मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना, बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।
कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई, अंगारों सी सुलगती है तन्हाई, कोई आ कर हमको जरा हँसा दे, मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
इश्क़ के नशे डूबे तो ये जाना हमने फ़राज़, की दर्द में तन्हाई नहीं होती.तन्हाई में दर्द होता है!
लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक, इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक।
इस तन्हाई के आलम में मै और मेरा तन्हा दिल, भूल नहीं पाया है लम्हा वो तेरी अंगड़ाई का।
रिश्ते छूट रहे हैं लोगों को परवाह नहीं है मोबाइलों के अलावा कहीं निगाहें नहीं है सामने बैठकर घंटों मोन रहते है यूँ तो रिप्लाई आये ना तो चेहरे पे लाह नहीं है।
जो रूह की तन्हाई होती हैं ना, उसको कोई ख़त्म नही कर सकता।
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है, ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है इफ़्तिख़ार आरिफ़।
बिखरे अरमान, भीगी पलकें और ये तन्हाई, कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बत में कुछ भी नहीं।
यादों की अर्थी तन्हाई का क़फ़न गम का तकिया, इंतज़ार तो सब हो गया बस नींद का आना बाक़ी हैं।
किस से कहु अपनी तन्हाई का आलम. लोग चहरें के हसी देख, बहुत खुश समझते हैं!