तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ, के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले।

तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ, के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले।

Tanhai Shayari

 तन्हाई से तँग आकर हम मोहब्बत की तलाश मैं निकले थे. लेकिन मोहब्बत ऐसी मिली कि तनहा कर गयी।

तन्हाई से तँग आकर हम मोहब्बत की तलाश मैं निकले थे. लेकिन मोहब्बत ऐसी मिली कि तनहा कर गयी।

तुम नहीं अब जहाँ में तनहा से हैं हम यहाँ बुला लो मुझे अपने जहाँ में दे न पाव तन्हाई का इम्तेहान।

तुम नहीं अब जहाँ में तनहा से हैं हम यहाँ बुला लो मुझे अपने जहाँ में दे न पाव तन्हाई का इम्तेहान।

ज़रा देर बैठे थे तन्हाई में  तिरी याद आँखें दुखाने लगी

ज़रा देर बैठे थे तन्हाई में तिरी याद आँखें दुखाने लगी "आदिल मंसूरी"।

तेरे बिना ये कैसे गुजरेंगी मेरी रातें, तन्हाई का गम कैसे सहेंगी ये रातें, बहुत लम्बी हैं ये घड़ियाँ इंतज़ार की, करवट बदल-बदल के कटेंगी ये रातें।

तेरे बिना ये कैसे गुजरेंगी मेरी रातें, तन्हाई का गम कैसे सहेंगी ये रातें, बहुत लम्बी हैं ये घड़ियाँ इंतज़ार की, करवट बदल-बदल के कटेंगी ये रातें।

मुझे तन्हाई की आदत है, मेरी बात छोडो, तुम

मुझे तन्हाई की आदत है, मेरी बात छोडो, तुम "बताओ" कैसी हो ?

मुश्किल की घडी जहन में उनका नाम आता है जमाना छोड़ देता है जब भी वो काम आता है।

मुश्किल की घडी जहन में उनका नाम आता है जमाना छोड़ देता है जब भी वो काम आता है।

इस तरह हम सुकून को महफूज़ कर लेते हैं, जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं।

इस तरह हम सुकून को महफूज़ कर लेते हैं, जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं।

अब तो याद भी उसकी आती नहीं, कितनी तनहा हो गई तन्हाईयाँ ।

अब तो याद भी उसकी आती नहीं, कितनी तनहा हो गई तन्हाईयाँ ।

ए मेरे दिल, कभी तीसरे की उम्मीद भी ना किया कर, सिर्फ तुम और ''मैं'' ही हैं इस दश्त-ए-तन्हाई में!

ए मेरे दिल, कभी तीसरे की उम्मीद भी ना किया कर, सिर्फ तुम और ''मैं'' ही हैं इस दश्त-ए-तन्हाई में!

तेरी निगाह उठे तो सुबह हो, पलके झुके तो शाम हो जाये, अगर तू मुस्कुरा भर दे तो कत्ले आम हो जाये।

तेरी निगाह उठे तो सुबह हो, पलके झुके तो शाम हो जाये, अगर तू मुस्कुरा भर दे तो कत्ले आम हो जाये।

यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है, आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया.

यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है, आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया.

गुज़र गई है मगर रोज़ याद आती है वो एक शाम जिसे भूलने की हसरत है !

गुज़र गई है मगर रोज़ याद आती है वो एक शाम जिसे भूलने की हसरत है !

हुई जो शाम तो अपना लिबास पहना कर, शफ़क़ को जैसे दम-ए-इंतिज़ार भेजा है.

हुई जो शाम तो अपना लिबास पहना कर, शफ़क़ को जैसे दम-ए-इंतिज़ार भेजा है.

ढलती शाम सी खूबसूरत हो तुम मगर शाम की ही तरह बहुत दूर हो तुम !

ढलती शाम सी खूबसूरत हो तुम मगर शाम की ही तरह बहुत दूर हो तुम !

मुद्दत से एक रात भी अपनी नहीं हुई, हर शाम कोई आया उठा ले गया मुझे।

मुद्दत से एक रात भी अपनी नहीं हुई, हर शाम कोई आया उठा ले गया मुझे।

उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है, शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है।

उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है, शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है।

ऐ दरख़्तों, शाम ढल गई, उम्मीद छोड़ दो, अब वो परिंदा नहीं आएगा.

ऐ दरख़्तों, शाम ढल गई, उम्मीद छोड़ दो, अब वो परिंदा नहीं आएगा.

अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में !

अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में !