हम खुद तराशते हैं मंजिल के संग ए मील हम वो नहीं हैं जिन को ज़माना बना गया ! - Manzil Shayari

हम खुद तराशते हैं मंजिल के संग ए मील हम वो नहीं हैं जिन को ज़माना बना गया !

Manzil Shayari