Manzil Shayari, Status, and Images in Hindi
Best Manzil Shayari, Status, Messages, and Quotes With Images in Hindi.
Best Manzil Shayari, Status, Messages, and Quotes With Images in Hindi.
सीढ़ी की आसानी तुम्हे मुबारक हो मैंने अपनी दम पर मंज़िल पाई है !
मंज़र धुंधला हो सकता है मंज़िल नहीं दौर बुरा हो सकता है ज़िंदगी नहीं !
ख़ुद पुकारेगी जो मंजिल तो ठहर जाऊँगा, वरना खुद्दार मुसाफ़िर हूँ गुजर जाऊँगा।
मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं !
सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही !
एक मंज़िल है मगर राह कई हैं सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले !
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंजिल, कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा.
गम में डूबी मेरी हर आहें है, मंजिल का पता नहीं और काँटों भरी राहें है।
ना पूछों कि मेरी मंजिल कहाँ है, अभी तो सफ़र का इरादा किया है, ना हारूँगा हौसला उम्र भर ये मैंने किसी से नहीं, खुद से ही वादा किया है।
जिंदगी न मंज़िल में मिली और न राहों में मिली ज़िन्दगी जब भी मिली तेरी ही बाहों में मिली !!
मेरी पतंग भी तुम हो उसकी ढील भी तुम, मेरी पतंग जहां कटकर गिरे वह मंज़िल भी तुम।
सामने मंज़िल थी और पीछे उस की आवाज़ रुकता तो सफर जाता चलता तो बिछड़ जाता !
मायूस हो गया हूँ जिंदगी के सफ़र से इस कदर, कि ना ख़ुद से मिल पा रहा हूँ ना मंजिल से।
हम खुद तराशते हैं मंजिल के संग ए मील हम वो नहीं हैं जिन को ज़माना बना गया !
मंज़िले ख़ुद राह दिखाती है अग़र ख़्वाहिश बुलन्द हो तो खुदा की रहमत मंज़िल बन जाती है।
ये भी क्या मंज़र है बढ़ते हैं न रुकते हैं क़दम तक रहा हूँ दूर से मंज़िल को मैं मंज़िल मुझे।
रास्तों पर निगाह रखने वाले भला मंज़िल कहाँ देख पाते हैं !
रास्तों पर निगाह रखने वाले भला मंज़िल कहाँ देख पाते हैं मंज़िलों तक तो वही पहुँचते हैं जो रास्तों को नज़रअंदाज़ कर जाते हैं।
तू साथ चलता तो शायद मंज़िल मिल जाती मुझे मुझे तो कोई रास्ता पहचानता नहीं !
हर सपने को अपनी साँसों में रखे हर मंज़िल को अपनी बाहों में रखे हर जीत आपकी ही है बस अपने लक्ष्य को अपनी निगाहों में रखे।
मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते !
ये राहें ले ही जाएँगी मंज़िल तक हौसला रख कभी सुना है कि अंधेरों ने सवेरा ना होने दिया।
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है आँखों ने अभी मील का पत्थर नहीं देखा !
मंज़िल होगी आसमाँ ऐसा यकीं कुछ कम है, अपने नक्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है।
नहीं निगाह मे मंज़िल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही !
रास्ते कहां खत्म होते हैं ज़िन्दगी के सफ़र में मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएं !
मंजिल मिले या ना मिले ये तो मुकद्दर की बात है हम कोशिश भी ना करे ये तो गलत बात हैं !
मंज़िल पा ली मैंने ठोकरें खा कर, लेकिन मरहम ना पा सका मंजिल पाकर।
रास्ते मुश्किल है पर हम मंज़िल ज़रूर पायेंगे ये जो किस्मत अकड़ कर बैठी है इसे भी ज़रूर हरायेंगे।
कभी कभी लंगड़े घोड़े पे दाव लगाना ज्यादा सही होता है, क्योंकि दर्द जब जूनून बन जाए तब मंजिल बहुत नजदीक लगने लगती हैं।
हूँ चल रहा उस राह पर जिसकी कोई मंज़िल नहीं है जुस्तजू उस शख़्स की जो कभी हासिल नहीं !
सीढ़िया उन्हें मुबारक हो जिन्हें सिर्फ़ छत तक जाना है, मेरी मंजिल तो आसमान है रास्ता मुझे ख़ुद बनाना है।