तू साथ चलता तो शायद मंज़िल मिल जाती मुझे मुझे तो कोई रास्ता पहचानता नहीं !

तू साथ चलता तो शायद मंज़िल मिल जाती मुझे मुझे तो कोई रास्ता पहचानता नहीं !

Manzil Shayari

मेरी पतंग भी तुम हो उसकी ढील भी तुम, मेरी पतंग जहां कटकर गिरे वह मंज़िल भी तुम।

मेरी पतंग भी तुम हो उसकी ढील भी तुम, मेरी पतंग जहां कटकर गिरे वह मंज़िल भी तुम।

सामने मंज़िल थी और पीछे उस की आवाज़ रुकता तो सफर जाता चलता तो बिछड़ जाता !

सामने मंज़िल थी और पीछे उस की आवाज़ रुकता तो सफर जाता चलता तो बिछड़ जाता !

मायूस हो गया हूँ जिंदगी के सफ़र से इस कदर, कि ना ख़ुद से मिल पा रहा हूँ ना मंजिल से।

मायूस हो गया हूँ जिंदगी के सफ़र से इस कदर, कि ना ख़ुद से मिल पा रहा हूँ ना मंजिल से।

हम खुद तराशते हैं मंजिल के संग ए मील हम वो नहीं हैं जिन को ज़माना बना गया !

हम खुद तराशते हैं मंजिल के संग ए मील हम वो नहीं हैं जिन को ज़माना बना गया !

मंज़िले ख़ुद राह दिखाती है अग़र ख़्वाहिश बुलन्द हो तो खुदा की रहमत मंज़िल बन जाती है।

मंज़िले ख़ुद राह दिखाती है अग़र ख़्वाहिश बुलन्द हो तो खुदा की रहमत मंज़िल बन जाती है।

सीढ़ी की आसानी तुम्हे मुबारक हो मैंने अपनी दम पर मंज़िल पाई है !

सीढ़ी की आसानी तुम्हे मुबारक हो मैंने अपनी दम पर मंज़िल पाई है !

ये भी क्या मंज़र है बढ़ते हैं न रुकते हैं क़दम तक रहा हूँ दूर से मंज़िल को मैं मंज़िल मुझे।

ये भी क्या मंज़र है बढ़ते हैं न रुकते हैं क़दम तक रहा हूँ दूर से मंज़िल को मैं मंज़िल मुझे।

रास्तों पर निगाह रखने वाले भला मंज़िल कहाँ देख पाते हैं !

रास्तों पर निगाह रखने वाले भला मंज़िल कहाँ देख पाते हैं !

रास्तों पर निगाह रखने वाले भला मंज़िल कहाँ देख पाते हैं मंज़िलों तक तो वही पहुँचते हैं जो रास्तों को नज़रअंदाज़ कर जाते हैं।

रास्तों पर निगाह रखने वाले भला मंज़िल कहाँ देख पाते हैं मंज़िलों तक तो वही पहुँचते हैं जो रास्तों को नज़रअंदाज़ कर जाते हैं।

हर सपने को अपनी साँसों में रखे हर मंज़िल को अपनी बाहों में रखे हर जीत आपकी ही है बस अपने लक्ष्य को अपनी निगाहों में रखे।

हर सपने को अपनी साँसों में रखे हर मंज़िल को अपनी बाहों में रखे हर जीत आपकी ही है बस अपने लक्ष्य को अपनी निगाहों में रखे।

मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते !

मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते !

 ये राहें ले ही जाएँगी मंज़िल तक हौसला रख कभी सुना है कि अंधेरों ने सवेरा ना होने दिया।

ये राहें ले ही जाएँगी मंज़िल तक हौसला रख कभी सुना है कि अंधेरों ने सवेरा ना होने दिया।

जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है आँखों ने अभी मील का पत्थर नहीं देखा !

जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है आँखों ने अभी मील का पत्थर नहीं देखा !

 मंज़िल होगी आसमाँ ऐसा यकीं कुछ कम है, अपने नक्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है।

मंज़िल होगी आसमाँ ऐसा यकीं कुछ कम है, अपने नक्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है।

नहीं निगाह मे मंज़िल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही !

नहीं निगाह मे मंज़िल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही !

रास्ते कहां खत्म होते हैं ज़िन्दगी के सफ़र में मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएं !

रास्ते कहां खत्म होते हैं ज़िन्दगी के सफ़र में मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएं !

मंजिल मिले या ना मिले ये तो मुकद्दर की बात है हम कोशिश भी ना करे ये तो गलत बात हैं !

मंजिल मिले या ना मिले ये तो मुकद्दर की बात है हम कोशिश भी ना करे ये तो गलत बात हैं !

 मंज़िल पा ली मैंने ठोकरें खा कर, लेकिन मरहम ना पा सका मंजिल पाकर।

मंज़िल पा ली मैंने ठोकरें खा कर, लेकिन मरहम ना पा सका मंजिल पाकर।