न मंज़िल है, न मंज़िल की है कोई दूर तक उम्मीद, ये किस रस्ते पे मुझको मेरा रहबर लेके आया है। - Umeed Shayari

न मंज़िल है, न मंज़िल की है कोई दूर तक उम्मीद, ये किस रस्ते पे मुझको मेरा रहबर लेके आया है।

Umeed Shayari