चल पड़ता हूँ उसकी हवाओं में मैं उसका बादल बन अब कौन समझाए इस दिल को अच्छा नहीं इतना पागलपन ! - Pagal Shayari

चल पड़ता हूँ उसकी हवाओं में मैं उसका बादल बन अब कौन समझाए इस दिल को अच्छा नहीं इतना पागलपन !

Pagal Shayari