अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई, तो दर्द का हिसाब क्यूँ रखूं। - Insaniyat Shayari

अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई, तो दर्द का हिसाब क्यूँ रखूं।

Insaniyat Shayari