इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है ! - Insaniyat Shayari

इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है !

Insaniyat Shayari