इंसानियत की रोशनी गुम हो गई कहा साए तो है आदमी के मगर आदमी कहा !

इंसानियत की रोशनी गुम हो गई कहा साए तो है आदमी के मगर आदमी कहा !

Insaniyat Shayari

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओह दे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओह दे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला

अंधो की दुनिया मे गूंगी जुबान हो गई बहरे लोग है यहां तभी तो इंसानियत तबाह हो गई !

अंधो की दुनिया मे गूंगी जुबान हो गई बहरे लोग है यहां तभी तो इंसानियत तबाह हो गई !

इंसान ही आता है काम इंसान के
मददगार कोई फरिश्ता नही होता
यह सच्चाई जान ले ऐ दोस्त इंसानियत
से बड़ा कोई रिश्ता नही होता.

इंसान ही आता है काम इंसान के मददगार कोई फरिश्ता नही होता यह सच्चाई जान ले ऐ दोस्त इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही होता.

बहुत से कागज़ मिल जाते हैं एक खासियत बेच कर, लोग पैसा कमाते हैं आज कल इंसानियत बेच कर।

बहुत से कागज़ मिल जाते हैं एक खासियत बेच कर, लोग पैसा कमाते हैं आज कल इंसानियत बेच कर।

इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ।

इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ।

मेहनत के प्रति मन मै अपने श्रद्धा हमेशा बनाए रखना जिंदगी मे बस इंसानियत को ही अपना उसूल बनाए रखना !

मेहनत के प्रति मन मै अपने श्रद्धा हमेशा बनाए रखना जिंदगी मे बस इंसानियत को ही अपना उसूल बनाए रखना !

बनाया ऐ ‘ज़फ़र’ ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतर मलक को देव को जिन को परी को हूर ओ ग़िल्माँ को

बनाया ऐ ‘ज़फ़र’ ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतर मलक को देव को जिन को परी को हूर ओ ग़िल्माँ को

इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है !

इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है !

हर आदमी होते हैं दस बीस आदमी जिसको भी देखना कई बार देखना।

हर आदमी होते हैं दस बीस आदमी जिसको भी देखना कई बार देखना।

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते है मै तो आदमी हूं मेरा ऐतबार मत करना !

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते है मै तो आदमी हूं मेरा ऐतबार मत करना !

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते हैं, मैं तो आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना।

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते हैं, मैं तो आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना।

खुदा न बदल सका आदमी को आज भी यारों, और आदमी ने सैकड़ो खुदा बदल डाले।

खुदा न बदल सका आदमी को आज भी यारों, और आदमी ने सैकड़ो खुदा बदल डाले।

इंसानियत दिल मे होती है हैसियत मे नही उपरवाला कर्म देखता है वसीयत नही !

इंसानियत दिल मे होती है हैसियत मे नही उपरवाला कर्म देखता है वसीयत नही !

आइना कोई ऐसा बना दे ऐ खुदा जो इंसान का चेहरा नही किरदार दिखा दे !

आइना कोई ऐसा बना दे ऐ खुदा जो इंसान का चेहरा नही किरदार दिखा दे !

देखें करीब से तो भी अच्छा दिखाई दे, इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे।

देखें करीब से तो भी अच्छा दिखाई दे, इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे।

इन्सानियत की रौशनी गुम हो गई कहाँ, साए तो हैं आदमी के मगर आदमी कहाँ?

इन्सानियत की रौशनी गुम हो गई कहाँ, साए तो हैं आदमी के मगर आदमी कहाँ?

निभाते नही है वह लोग आजकल वरना इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही !

निभाते नही है वह लोग आजकल वरना इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही !

चंद सिक्कों में बिकता है यहाँ इंसान का ज़मीर, कौन कहता है मेरे मुल्क में महंगाई बहुत है।

चंद सिक्कों में बिकता है यहाँ इंसान का ज़मीर, कौन कहता है मेरे मुल्क में महंगाई बहुत है।