इंसानियत की रोशनी गुम हो गई कहा साए तो है आदमी के मगर आदमी कहा ! - Insaniyat Shayari

इंसानियत की रोशनी गुम हो गई कहा साए तो है आदमी के मगर आदमी कहा !

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