आइना कोई ऐसा बना दे ऐ खुदा जो इंसान का चेहरा नही किरदार दिखा दे !

आइना कोई ऐसा बना दे ऐ खुदा जो इंसान का चेहरा नही किरदार दिखा दे !

Insaniyat Shayari

मेहनत के प्रति मन मै अपने श्रद्धा हमेशा बनाए रखना जिंदगी मे बस इंसानियत को ही अपना उसूल बनाए रखना !

मेहनत के प्रति मन मै अपने श्रद्धा हमेशा बनाए रखना जिंदगी मे बस इंसानियत को ही अपना उसूल बनाए रखना !

बनाया ऐ ‘ज़फ़र’ ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतर मलक को देव को जिन को परी को हूर ओ ग़िल्माँ को

बनाया ऐ ‘ज़फ़र’ ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतर मलक को देव को जिन को परी को हूर ओ ग़िल्माँ को

इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है !

इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है !

हर आदमी होते हैं दस बीस आदमी जिसको भी देखना कई बार देखना।

हर आदमी होते हैं दस बीस आदमी जिसको भी देखना कई बार देखना।

इंसानियत की रोशनी गुम हो गई कहा साए तो है आदमी के मगर आदमी कहा !

इंसानियत की रोशनी गुम हो गई कहा साए तो है आदमी के मगर आदमी कहा !

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते है मै तो आदमी हूं मेरा ऐतबार मत करना !

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते है मै तो आदमी हूं मेरा ऐतबार मत करना !

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते हैं, मैं तो आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना।

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते हैं, मैं तो आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना।

खुदा न बदल सका आदमी को आज भी यारों, और आदमी ने सैकड़ो खुदा बदल डाले।

खुदा न बदल सका आदमी को आज भी यारों, और आदमी ने सैकड़ो खुदा बदल डाले।

इंसानियत दिल मे होती है हैसियत मे नही उपरवाला कर्म देखता है वसीयत नही !

इंसानियत दिल मे होती है हैसियत मे नही उपरवाला कर्म देखता है वसीयत नही !

देखें करीब से तो भी अच्छा दिखाई दे, इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे।

देखें करीब से तो भी अच्छा दिखाई दे, इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे।

इन्सानियत की रौशनी गुम हो गई कहाँ, साए तो हैं आदमी के मगर आदमी कहाँ?

इन्सानियत की रौशनी गुम हो गई कहाँ, साए तो हैं आदमी के मगर आदमी कहाँ?

निभाते नही है वह लोग आजकल वरना इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही !

निभाते नही है वह लोग आजकल वरना इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही !

चंद सिक्कों में बिकता है यहाँ इंसान का ज़मीर, कौन कहता है मेरे मुल्क में महंगाई बहुत है।

चंद सिक्कों में बिकता है यहाँ इंसान का ज़मीर, कौन कहता है मेरे मुल्क में महंगाई बहुत है।

कहीं फिसल ना जाओ ज़रा संभल के रहना, मौसम बारिश का भी है और मुहब्बत का भी।

कहीं फिसल ना जाओ ज़रा संभल के रहना, मौसम बारिश का भी है और मुहब्बत का भी।

मौसम का मजा तो गरीब लेते है, अमीरों को गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम का पता ही कहाँ चलता है.

मौसम का मजा तो गरीब लेते है, अमीरों को गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम का पता ही कहाँ चलता है.

जालिम ये मौसम तुम्हारी याद दिला देता जाने-अनजाने में मुझे रुला देता।

जालिम ये मौसम तुम्हारी याद दिला देता जाने-अनजाने में मुझे रुला देता।

हम कि रूठी हुई रुत को भी मना लेते थे, हम ने देखा ही न था मौसम-ए-हिज्राँ जानाँ।

हम कि रूठी हुई रुत को भी मना लेते थे, हम ने देखा ही न था मौसम-ए-हिज्राँ जानाँ।

ये मौसम कितना प्यार है, खूबसूरत कितना यह नजारा है, इश्क़ करने का गुनाह हमारा है, मेरे सीने में धड़कता दिल तुम्हारा है!

ये मौसम कितना प्यार है, खूबसूरत कितना यह नजारा है, इश्क़ करने का गुनाह हमारा है, मेरे सीने में धड़कता दिल तुम्हारा है!