उसे छुआ तो दिसम्बर में प्यास लगने लगी, कि उसके ज़िस्म का मौसम तो जून जैसा है। - Mausam Shayari

उसे छुआ तो दिसम्बर में प्यास लगने लगी, कि उसके ज़िस्म का मौसम तो जून जैसा है।

Mausam Shayari