लगता है रात को भी बाते है अल्फाज मेरे तभी तो वह नींद को गुमराह करती है मेरे! - Neend Shayari

लगता है रात को भी बाते है अल्फाज मेरे तभी तो वह नींद को गुमराह करती है मेरे!

Neend Shayari