जब खुद को बार बार यकीन दिलाना पड़ जाए, तो समझ लेना शक का गृह-प्रवेश हो चुका है। - Shak Shayari

जब खुद को बार बार यकीन दिलाना पड़ जाए, तो समझ लेना शक का गृह-प्रवेश हो चुका है।

Shak Shayari