कुछ यूँ हुआ कि जब भी जरुरत पड़ी, हर शख्स इतेफाक से मजबूर हो गया, - Matlabi Shayari

कुछ यूँ हुआ कि जब भी जरुरत पड़ी, हर शख्स इतेफाक से मजबूर हो गया,

Matlabi Shayari