बुझी न प्यास तो यूँ ख़त्म ज़िंदगी कर ली। नदी ने जा के समंदर में ख़ुदकशी कर ली। - Samandar Shayari

बुझी न प्यास तो यूँ ख़त्म ज़िंदगी कर ली। नदी ने जा के समंदर में ख़ुदकशी कर ली।

Samandar Shayari