"इश्क का समंदर भी क्या समंदर है, जो डूब गया वो आशिक जो बच गया वो दीवाना। जो तैरता ही रह गया वह पति।

Samandar Shayari

इलाही कश्ती-ए-दिल बह रही है किस समंदर में। निकल आती हैं मौजें हम जिसे साहिल समझते हैं।

इलाही कश्ती-ए-दिल बह रही है किस समंदर में। निकल आती हैं मौजें हम जिसे साहिल समझते हैं।

जिसको देखूँ तेरे दर का पता पूछता है क़तरा क़तरे से समंदर का पता पूछता है!

जिसको देखूँ तेरे दर का पता पूछता है क़तरा क़तरे से समंदर का पता पूछता है!

ऐ ख़ुदा रेत के सहरा को समंदर कर दे। या छलकती हुई आँखों को भी पत्थर कर दे।

ऐ ख़ुदा रेत के सहरा को समंदर कर दे। या छलकती हुई आँखों को भी पत्थर कर दे।

नज़रों से नापता है समुंदर की वुसअतें साहिल पे इक शख़्स अकेला खड़ा हुआ !

नज़रों से नापता है समुंदर की वुसअतें साहिल पे इक शख़्स अकेला खड़ा हुआ !

"सुकून अपने दिल का मैंने खो दिया। खुद को तन्हाई के समंदर में डुबो दिया।

वो बहने के लिये कितना तड़पता रहता है लेकिन समंदर का रुका पानी कभी दरिया नहीं बनता !

वो बहने के लिये कितना तड़पता रहता है लेकिन समंदर का रुका पानी कभी दरिया नहीं बनता !

वक्त ढूँढ रहा था मुझे हाथों में खंजर लिए। मैं छुप गई आईने में आँखों में समंदर लिए।

वक्त ढूँढ रहा था मुझे हाथों में खंजर लिए। मैं छुप गई आईने में आँखों में समंदर लिए।

मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर में। मगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं।

मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर में। मगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं।

तू समन्दर है तो क्यूँ आँख दिखाता है मुझे और से प्यास बुझाना अभी आता है मुझे!

तू समन्दर है तो क्यूँ आँख दिखाता है मुझे और से प्यास बुझाना अभी आता है मुझे!

गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता!

गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता!

वो नदी थी वापस मुड़ी नहीं। मैं समंदर था आगे बढ़ा नहीं।

वो नदी थी वापस मुड़ी नहीं। मैं समंदर था आगे बढ़ा नहीं।

आओ सजदा करें आलमे मदहोशी में लोग कहते हैं कि सागर को खुदा याद नहीं।

आओ सजदा करें आलमे मदहोशी में लोग कहते हैं कि सागर को खुदा याद नहीं।

जब चल पड़े सफ़र को तो फिर हौंसला रखो। सहरा कहीं, कहीं पे समंदर भी आएंगे।

जब चल पड़े सफ़र को तो फिर हौंसला रखो। सहरा कहीं, कहीं पे समंदर भी आएंगे।

समंदर की तरह पहचान है हमारी उपर से खामोश अंदर से तुफान!

समंदर की तरह पहचान है हमारी उपर से खामोश अंदर से तुफान!

कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा!

कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा!

होता होगा तुम्हारी दुनियाँ में गहरा समंदर हमारे यहाँ इश्क़ से गहरा कुछ भी नहीं !

होता होगा तुम्हारी दुनियाँ में गहरा समंदर हमारे यहाँ इश्क़ से गहरा कुछ भी नहीं !

कह देना समुन्दर से हम ओस के मोती हैं। दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आएंगे।

कह देना समुन्दर से हम ओस के मोती हैं। दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आएंगे।

उन आँसुओं का समंदर है मेरी आँखों में, जिन आँसुओं में है ठहराव भी, रवानी भी।

उन आँसुओं का समंदर है मेरी आँखों में, जिन आँसुओं में है ठहराव भी, रवानी भी।