बहती हुई है दरिया का किनारा हूं मैं टूट कर भी आज तक वही खड़ा हूं मैं रखना मुझे अपनी पनाह में ए खुदा इस जग से हारा हूं मै ! - Tuta Dil Shayari

बहती हुई है दरिया का किनारा हूं मैं टूट कर भी आज तक वही खड़ा हूं मैं रखना मुझे अपनी पनाह में ए खुदा इस जग से हारा हूं मै !

Tuta Dil Shayari