रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ऐ मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ ! - Shero Shayari

रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ऐ मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ !

Shero Shayari