अब मैं नहीं जलाता दिया शब अँधेरे में साया तुम्हारा दिखता है मुझ को चिराग़ में - Andhera Shayari

अब मैं नहीं जलाता दिया शब अँधेरे में साया तुम्हारा दिखता है मुझ को चिराग़ में

Andhera Shayari