ये कैसा तजुर्बा है कि दिल जलाने पे अक्सर, अंधेरा छा जाता है रोशनी नही होती।

ये कैसा तजुर्बा है कि दिल जलाने पे अक्सर, अंधेरा छा जाता है रोशनी नही होती।

Andhera Shayari

 ये ज़िंदगी तो तेरी यादों की अमानत है सनम, हम तो सिर्फ साँसों की रस्म अदा कर रहें हैं।

ये ज़िंदगी तो तेरी यादों की अमानत है सनम, हम तो सिर्फ साँसों की रस्म अदा कर रहें हैं।

 जिंदगी की हक़ीकत सिर्फ इतनी होती है, जब जागता है इंसान तो किस्मत सोती है, जिस पर हम अपना हक़ जमाते है, वो अमानत अक्सर किसी और की होती है।

जिंदगी की हक़ीकत सिर्फ इतनी होती है, जब जागता है इंसान तो किस्मत सोती है, जिस पर हम अपना हक़ जमाते है, वो अमानत अक्सर किसी और की होती है।

अँधेरों में भले ही साथ छोड़ा था हमारा मगर जब रौशनी लौटी तो साए लौट आए

अँधेरों में भले ही साथ छोड़ा था हमारा मगर जब रौशनी लौटी तो साए लौट आए

 आज की रात भी तन्हा ही कटी, आज के दिन भी अंधेरा होगा !

आज की रात भी तन्हा ही कटी, आज के दिन भी अंधेरा होगा !

तेरे परचम पे चाँद होने से मुल्क से तीरगी न जाएगी

तेरे परचम पे चाँद होने से मुल्क से तीरगी न जाएगी

ख़ामोशी से उसकी बस झगड़ा हुआ, हर अँधेरा रूह का उजला हुआ।

ख़ामोशी से उसकी बस झगड़ा हुआ, हर अँधेरा रूह का उजला हुआ।

रौशनी और तीरगी के बीच हर घड़ी भाग-दौड़ चलती है

रौशनी और तीरगी के बीच हर घड़ी भाग-दौड़ चलती है

 अंधेरों को निकाला जा रहा है, मगर घर से उजाला जा रहा है !

अंधेरों को निकाला जा रहा है, मगर घर से उजाला जा रहा है !

अब मैं नहीं जलाता दिया शब अँधेरे में साया तुम्हारा दिखता है मुझ को चिराग़ में

अब मैं नहीं जलाता दिया शब अँधेरे में साया तुम्हारा दिखता है मुझ को चिराग़ में

 भला कब तक चलेगा हिज्र का मौसम अंधेरा रात का मेहमान होता है

भला कब तक चलेगा हिज्र का मौसम अंधेरा रात का मेहमान होता है

उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों, तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ ।

उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों, तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ ।

इन बुझते चिराग़ों को जला क्यों नहीं देते, तहरीर अंधेरों की मिटा क्यों नहीं देते।

इन बुझते चिराग़ों को जला क्यों नहीं देते, तहरीर अंधेरों की मिटा क्यों नहीं देते।

छुपा है शह्र में आकर अँधेरा उजाले बस्तियों में ढूँढ़ते हैं

छुपा है शह्र में आकर अँधेरा उजाले बस्तियों में ढूँढ़ते हैं

 इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे, रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा!

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे, रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा!

मंज़िल कि जुस्तजू में गुम हो रहा हमेशा किस अक्स को तलाशूँ अँधियार में यहाँ मैं!

मंज़िल कि जुस्तजू में गुम हो रहा हमेशा किस अक्स को तलाशूँ अँधियार में यहाँ मैं!

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए, न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए ।

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए, न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए ।

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है ।

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है ।

रात की बात तो और कुछ थी मगर ये सवेरे सवेरे अँधेरा घना

रात की बात तो और कुछ थी मगर ये सवेरे सवेरे अँधेरा घना