ये कैसा तजुर्बा है कि दिल जलाने पे अक्सर, अंधेरा छा जाता है रोशनी नही होती। - Andhera Shayari

ये कैसा तजुर्बा है कि दिल जलाने पे अक्सर, अंधेरा छा जाता है रोशनी नही होती।

Andhera Shayari