छुपा है शह्र में आकर अँधेरा उजाले बस्तियों में ढूँढ़ते हैं

छुपा है शह्र में आकर अँधेरा उजाले बस्तियों में ढूँढ़ते हैं

Andhera Shayari

तेरे परचम पे चाँद होने से मुल्क से तीरगी न जाएगी

तेरे परचम पे चाँद होने से मुल्क से तीरगी न जाएगी

ख़ामोशी से उसकी बस झगड़ा हुआ, हर अँधेरा रूह का उजला हुआ।

ख़ामोशी से उसकी बस झगड़ा हुआ, हर अँधेरा रूह का उजला हुआ।

रौशनी और तीरगी के बीच हर घड़ी भाग-दौड़ चलती है

रौशनी और तीरगी के बीच हर घड़ी भाग-दौड़ चलती है

 अंधेरों को निकाला जा रहा है, मगर घर से उजाला जा रहा है !

अंधेरों को निकाला जा रहा है, मगर घर से उजाला जा रहा है !

अब मैं नहीं जलाता दिया शब अँधेरे में साया तुम्हारा दिखता है मुझ को चिराग़ में

अब मैं नहीं जलाता दिया शब अँधेरे में साया तुम्हारा दिखता है मुझ को चिराग़ में

ये कैसा तजुर्बा है कि दिल जलाने पे अक्सर, अंधेरा छा जाता है रोशनी नही होती।

ये कैसा तजुर्बा है कि दिल जलाने पे अक्सर, अंधेरा छा जाता है रोशनी नही होती।

 भला कब तक चलेगा हिज्र का मौसम अंधेरा रात का मेहमान होता है

भला कब तक चलेगा हिज्र का मौसम अंधेरा रात का मेहमान होता है

उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों, तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ ।

उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों, तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ ।

इन बुझते चिराग़ों को जला क्यों नहीं देते, तहरीर अंधेरों की मिटा क्यों नहीं देते।

इन बुझते चिराग़ों को जला क्यों नहीं देते, तहरीर अंधेरों की मिटा क्यों नहीं देते।

 इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे, रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा!

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे, रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा!

मंज़िल कि जुस्तजू में गुम हो रहा हमेशा किस अक्स को तलाशूँ अँधियार में यहाँ मैं!

मंज़िल कि जुस्तजू में गुम हो रहा हमेशा किस अक्स को तलाशूँ अँधियार में यहाँ मैं!

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए, न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए ।

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए, न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए ।

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है ।

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है ।

रात की बात तो और कुछ थी मगर ये सवेरे सवेरे अँधेरा घना

रात की बात तो और कुछ थी मगर ये सवेरे सवेरे अँधेरा घना

चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है, ज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अँधेरा है ।

चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है, ज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अँधेरा है ।

अँधेरे में कमा कर रौशनी सबके लिए लाए दिया बन कर जले जब बाप तब त्योहार होता है

अँधेरे में कमा कर रौशनी सबके लिए लाए दिया बन कर जले जब बाप तब त्योहार होता है

मेरे नशेमन में किसी तरह का अंधेरा नहीं है, उस ख़्वाब में न जी पाऊंगा जो मेरा नहीं है।

मेरे नशेमन में किसी तरह का अंधेरा नहीं है, उस ख़्वाब में न जी पाऊंगा जो मेरा नहीं है।

लड़ाई जीतनी है गर अंधेरों से हवा की मार से बचना ज़रूरी है

लड़ाई जीतनी है गर अंधेरों से हवा की मार से बचना ज़रूरी है